"कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा"
जब भी मैं मुड़कर देखता हूँ,
हमेशा यही सोंचता हूँ कि क्या
व्यक्तित्व पाया था, इस इंसान ने।
वे सिनेमा के सच्चे प्रतिभा थे, जिसने
हर क्षेत्र में अपनी एक अलग और
उम्दा पहचान बनाई…
"आभास कुमार गांगुली" को शायद
आज की पीढ़ी भुल गई हो किंतु
"किशोर कुमार" की आवाज को शायद
ही किसी ने न सुना हो… 4 Aug.1929
को मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में इस
महान कलाकार का जन्म हुआ…वैसे तो
इनके बड़े भाई "अशोक कुमार साहब"
उन चुनिंदा व्यक्तियों में थे जिन्होनें
भारतीय सिनेमा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया…उस बड़े
व्यक्तित्व के सामने अपने को खड़ा करना, उस नाम से अलग एक
नई पहचान बनाना शायद बहुत मुश्किल था पर जो चुनौतियों को
पहचान सही मार्ग का अनुसरण करता है वही महान कहलाता है…।
"The Real Genius & Most Versatile Personality Of All Time"
किशोर कुमार, सिनेमा जगत के वह कलाकार थे जो एक साथ अभिनय,
गायकी,निर्देशक, निर्माता, लेखक, गीतकार सभी भुमिकाओं में अपने
को ढाला और कई सारे रचनात्मक आधार दिये, भारतीय सिनेमा के लिए…।
"जिद्दी"(1948) पहली फिल्म थी जिसमें इन्होंने अपना पहला
गाना गाया … "आंदोलन" फिल्म से अभिनय शुरु, "लड़की" (1953)
फिल्म ने पहचान दी जो ऐसा चला कि लगभग 80 फिल्मों तक
चलता गया… जिसमें कई सारे हिट्स थे …।
S D Burman साहब ने इनकी आवाज को सही रुप में पहचाना
और फिर क्या था किशोर साहब ने फिर कभी मुड़कर नहीं
देखा…।
अभिनय और गायकी के साथ-साथ उन्होनें कई फिल्में भी
बनाई जिसमें "दूर गगन की छाँव में" और
"दूर का राही" प्रमुख है, जिसमें इनको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी
मिली…।
इनकी कॉमेडी को कौन भुल सकता है… चाहे वह "हॉफ टिकट"
हो या "चलती का नाम गाड़ी" या फिर "पड़ोसन" सभी एक से
बढ़कर एक हैं… और कैसे भुल सकता है…
कोई The Best Romanatic Song Ever made…
"एक लड़की भींगी भांगी सी" जो "चलती का नाम गाड़ी" से ही था और
परदे पर खुद किशोर दा और मधुवाला ने इसे निभाया था…।
कहा जाता है कि राजेश खन्ना को सुपर स्टार बनाने में इनकी
आवाज की भी एक प्रमुख भुमिका थी… 1969 में जब अराधना आई
तो "रुप तेरा मस्ताना" और "मेरे सपनों की रानी"
जैसे गीतों पर सारा देश झुमने लगा… वे गाते थे तो लगता
था कि बस सुनता जाये कोई… भारत के एकमात्र पार्श्व गायक जिनकी
आवाज मर्द की आवाज थी…इन्होनें न तो कोई क्लासिकल गायकी
की शिक्षा ली थी न वो एकमात्र गायक ही थे… "लता दी" ने भी कहा
था कि "किशोर दा" संपूर्ण कलाकार थे…।
उनके प्रमुख गानों में---
"वो शाम कुछ अजीब थी"
"कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा"
"मेरे नैना सावन भादों"
"गाता रहे मेरा दिल"
"फूलों के रंग से"
"कोरा कागज था ये मन मेरा"
आज हमारे अपने किशोर दा का
78th वां जन्मदिन है और
मैं इस महान कलाकार को सलाम करता हूँ…।
चन्द शब्द जो उनके स्मरण मात्र से मेरे ज़हन में उभर आता है---
"वो आवाज ही थी जो सदियों से पुकारती थी दिल में,
वो आवाज ही थी जो शाम तलाशती थी दिल में,
वो आवाज ही थी जो भटकती थी तमन्नाओं के दिल में,
वो आवाज ही थी जो कश्ती थी बहारों की दिल में।"
August 5, 2007 at 7:49 AM
पढ़ कर अच्छा लगा।
September 15, 2007 at 3:04 PM
पहली बार आज आपके ब्लाग पर आया हूं। पर इतनी रोचक और नयी सामग्री देखकर अभिभूत हूं। साथ ही अफसोस भी हो रहा है कि अभी तक क्यों नहीं यहाँ पहुंचा। खैर, देर आयद, दुरूस्त आयद।
November 6, 2007 at 6:41 PM
very nice snap shots of kishore kumar, my favourite singer
November 11, 2008 at 5:13 PM
Interesting to know.