SALO- 120 दिन सोडोम का…एक समीक्षा।
Friday, November 30, 2007
MOVIE - Salo or The 120 days of Sodom
YEAR - 1976, Italy
एक प्रबल दु:खद, मानसिक, शारीरिक यातना की पराकाष्ठा
पर केंद्रीत अति-विवादास्पद फिल्म जिसे देखने के लिए
एक बिल्कुल सामान्य शांत मस्तिष्क का होना जरुरी है…
आज भी कई देशों में ये मुवी प्रतिबंधित है…।
साधारण रुप से इसकी कहानी विश्व युद्ध-2 पर आधारित है।
इटली पर मुसोलनी के शासन का अंतिम
दौर … Republic Of Salo एक फासीवादी राज्य, जो
जर्मनी के कब्जे में था 1944 में। Pasolini ने शायद
बहुत करीब से सारे मंजर को देखा था और काफी
यातनाएँ भी झेली थीं, यह फिल्म उसी भीतरी
आक्रोश का परिणाम था किंतु इसके बनते ही
उनकी हत्या कर दी गई…।
इस फिल्म का प्रत्येक दृश्य दहला देने वाला है जिसे आम
दर्शक तो निगल ही नहीं पायेगा… बहुत सारे NUDE SCENES
हैं या यों कहें पूरी फिल्म ही ऐसे ही है जो बहुत ही सांकेतिक
है… शासन के चार मुख्य स्तंभ -- The Duc, The President,
The Bishop, The Magistrate जो शायद धुरी राष्ट्र को दर्शाता
है जहाँ 18 पुरुष और 18 महिलाओं को अपहृत कर एक बड़े से
महल में रखा जाता है… साथ में चार वैश्याएँ होती हैं जो
काम-वासना के नए-नए तरीके सिखाती हैं… और बहुत
सारे शारीरिक और मानसिक यातना के बाद उनकी
जघन्य हत्या कर दी जाती है… वैसे अगर देखा जाए तो
यह एक बहुत ही साधारण कहानी है पर जिस प्रकार से
इसे चित्रित किया गया है वह निश्चित ही देखने लायक
है… शायद आप भूत की फिल्म को देख उतना ना डरे पर
जो घबराहट इसे देखते हुए मुझे हुई वह मैं बता ही नहीं सकता,
पूरा एक दिन मुझसे खाना नहीं खाया गया…।
जितने भी बलात्कार, मानसिक यातनाएँ हुई हैं इसमें कोई
भी दृश्य अकेले में नहीं फिल्माया गया है सारे-के-सारे
दृश्य कम-से-कम 30-40 लोगों के सामने है…
सबसे डरावना सीन है-- जब महिलाओं को नंगा
कर गले में कुत्ते का पट्टा बांधकर कच्चा मांस खाने
को मजबूर किया जाता है सच कहूं बहुत ही घिनौना
है… ओ ओ SSSS
लेकिन ये सब इतना सांकेतिक है कि थोड़ा सोंचा जाए
तो डॉयेरेक्टर के अंदर की बात सामने आने लगती है,
मानव का भीतरी अंतस पाशविक वृत्तियों का ही गुलाम
होता है जिसे अगर पूर्णत: स्वतंत्र कर दिया जाए तो
वह जानवर के जैसा ही व्यवहार करेगा और यही मानवीय
अंधेरा जो हम सभी में व्याप्त है इस फिल्म का मूल
संदेश है… इसे इतना विकृत रुप में दिखाया गया है
जिसे हम देख ही नहीं सकते…। बहुत ही जटिल फिल्म
जो हमें हिटलर, मुसोलनी जैसे कुत्सित व्यक्तित्व का
सच प्रकट करती है… आप साधारण रुप में तो इसे देखने के
बाद मानव से ही घृणा करने लग जाएंगे। कई समीक्षकों
ने तो यहाँ तक कहा की यह फिल्म नहीं Posolini के
Sexual Frustration का परिणाम है जो 18 महिलाओं और
18 पुरुष को असामान्य रुप में संभोग करते देखना व खुद
को आनंदित करना है…।
हाँ एकबात अवश्य कहना चाहूंगा कि यह फिल्म आम
लोगों के लिए तो है ही नहीं और पारिवारीक तो
बिल्कुल नहीं, अगर यह फिल्म मिल जाए तो
यह अवश्य सुनिश्चित कर लें की आपकी मानसिक
स्थिति इसे पचा ले…।